अटल भूजल योजना
भारत में जल संकट एक गंभीर मुद्दा बनता जा रहा है। विशेष रूप से भूजल संसाधनों का अत्यधिक दोहन और अनियमित उपयोग चिंताजनक है। इस समस्या के समाधान के लिए केंद्र सरकार ने अटल भूजल योजना की शुरुआत की। इस योजना का उद्देश्य देश में भूजल स्तर को सुधारना और इसके सतत प्रबंधन को सुनिश्चित करना है।
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अटल भूजल योजना क्या है?
अटल भूजल योजना, जिसे अटल जल योजना के नाम से भी जाना जाता है, केंद्र सरकार द्वारा 2019 में शुरू की गई एक प्रमुख योजना है। इसका उद्देश्य उन क्षेत्रों में भूजल के स्तर को बेहतर करना है जहाँ इसका अत्यधिक दोहन हुआ है। यह योजना मुख्य रूप से सात राज्यों—गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, और उत्तर प्रदेश—में लागू की जा रही है।
अटल भूजल योजना का मुख्य उद्देश्य:
- भूजल संरक्षण: जल का कुशल और समुचित प्रबंधन करना, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए जल की उपलब्धता बनी रहे।
- जागरूकता बढ़ाना: स्थानीय समुदायों में भूजल प्रबंधन के प्रति जागरूकता बढ़ाना और उन्हें इस दिशा में सहभागी बनाना।
- समुदाय-आधारित भागीदारी: जल संरक्षण के प्रयासों में स्थानीय समुदायों को शामिल करना ताकि बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकें।
- स्थानीय प्रबंधन: स्थानीय निकायों, ग्राम पंचायतों और ग्रामीण समुदायों को जल प्रबंधन की दिशा में प्रशिक्षित करना।
योजना के घटक:
- समुदाय की भागीदारी: योजना के तहत ग्राम स्तर पर जल उपयोग की निगरानी और प्रबंधन के लिए समितियों का गठन किया गया है।
- तकनीकी सहयोग: योजना के तहत भूजल संसाधनों की निगरानी के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है, जैसे कि GIS मैपिंग, सेंसर-आधारित निगरानी।
- जल स्रोतों का आकलन: क्षेत्रीय स्तर पर जल स्रोतों का अध्ययन और उनके पुनर्भरण की क्षमता का मूल्यांकन किया जा रहा है।
- धन आवंटन: इस योजना का कुल बजट 6,000 करोड़ रुपये है, जिसमें 50% वित्तपोषण विश्व बैंक से प्राप्त हुआ है।
योजना के लाभ:
- भूजल स्तर में सुधार: भूजल के सही और संतुलित उपयोग से इसका स्तर सुधारने में मदद मिलती है।
- सतत कृषि: भूजल की उपलब्धता में सुधार से किसान अपनी फसलें निरंतर रूप से उगा सकते हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि होती है।
- जलवायु परिवर्तन से मुकाबला: जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में यह योजना अहम भूमिका निभा सकती है।
निष्कर्ष:
अटल भूजल योजना एक क्रांतिकारी कदम है जो भारत के जल प्रबंधन में एक नया आयाम जोड़ता है। यदि इसे सही ढंग से लागू किया जाए और लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जाए, तो यह जल संकट को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है।