गुजरात: शंकर सिंह वाघेला और कॉन्ग्रेस के सियासी समीकरण, क्या भाजपा की कोई नई चाल? 

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दिवगंत नेता अहमद पटेल और वाघेला के बीच हमेशा सियासी मतभेद रहते थे। अब क्यों बापू  कॉग्रेस में वापसी करने उत्सुक

By Abdul Hafiz lakhani Ahmedabad
 गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला फिर पाला बदलने के मूड में नजर आ रहे हैं। वाघेला की फिर से कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें हैं। वाघेला ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर कहा कि भाजपा से लड़ने के लिए वे बिना शर्त कांग्रेस में शामिल होने को तैयार हैं। सार्वजनिक जीवन में अब कुछ भी पाने की लालसा नहीं है। बस उन्हें कांग्रेस आलाकमान की हरी झंडी का इंतजार है। गुजरात की राजनीति में नित नए अध्याय शामिल हो रहे हैं। प्रदेश के दिग्गज क्षत्रिय नेता व पूर्व मुख्यमंत्री शंकरसिंह वाघेला ने कांग्रेस में शामिल होने की इच्छा जताई है। उनका दावा है कि कांग्रेस नेता अहमद पटेल के जनाजे में शामिल होने के बाद भरुच के पीरामल गांव में कुछ कार्यकर्ताओं ने उनसे फिर से कांग्रेस में शामिल होने की गुहार लगाई थी।

वाघेला ने जुलाई 2017 में कांग्रेस छोड़ दी थी, उन्होंने दावा किया था कि उन्हें बाहर कर दिया गया है। इस साल एक रैली में वाघेला ने दावा किया था कि वह पार्टी की आंतरिक साजिश का शिकार हो गए थे, जिसके कारण पार्टी ने उन्हें बाहर का दरवाजा दिखाया था। हालांकि, कांग्रेस ने वाघेला को हटाए जाने से इनकार किया था और कहा था कि उनका दावा निराधार है।वाघेला ने कांग्रेस छोड़ने के बाद जन विकास पार्टी बनाई और दिसंबर 2017 के चुनावों में गुजरात विधानसभा की सभी सीटों पर चुनाव लड़ा। हालांकि उनके सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। 2019 में वाघेला राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे, लेकिन पिछले साल इसे छोड़ दिया था.

सूत्रोंके अनुसार, कॉन्ग्रेस के कद्दावर नेता अहमद पटेल के निधन बाद अब गुजरात कॉन्ग्रेस वरिष्ठ नेता भरतसिंह सोलंकी अपना ग्रुप मजबूत करने के लिए शंकरसिह वाघेला को वापस लाने के लिए उत्सुक है। दूसरी  ओर खुद शंकर सिह खुद अहमद पटेल और माधव सीह सोलंकी के निधन के बाद कॉन्ग्रेस में अपनी मजबूत जगह ढूंढ़ रहे है। सब को पता था की दिवगंत नेता अहमद पटेल और वाघेला के बीच हमेशा सियासी मतभेद रहते थे।

गुजरात में लोग उन्हें प्यार से बापू कहते हैं। बापू फिर राजनीतिक रूप से पाला बदलने को तैयार बैठे हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी व पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी जब भी उन्हें बुलाएंगे वे दिल्ली पहुंचकर बिना शर्त कांग्रेस में शामिल होंगे। पूर्व केंद्रीय मंत्री भरत सिंह सोलंकी व पूर्व अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया इस मामले में मध्यस्थता कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री माधव सिंह सोलंकी के निधन के बाद इन नेताओं की एक मुलाकात में इस संदर्भ में चर्चा हुई बताई। इस संबंध में सोलंकी का कहना है कि कांग्रेस आलाकमान, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी जो फैसला करें वो स्वीकार्य होगा। सोलंकी कहते हैं कि भाजपा में नितिन पटेल कभी नाराज थे, अगर वो भी कांग्रेस की विचारधारा को स्वीकारते हुए कांग्रेस में शामिल होते हैं तो स्वागत करेंगे।
गौरतलब है कि कभी संघ की पाठशाला में राजनीति के गुर सीखने वाले शंकर सिंह वाघेला ने 1996 में भाजपा के साथ बगावत कर अपना अलग गुट बना लिया था। कांग्रेस की मदद से वे मुख्यमंत्री भी बन गए, लेकिन एक साल से अधिक सत्ता में नहीं रह सके थे। 2002 में वाघेला ने कांग्रेस का दामन थाम लिया। कांग्रेस ने उन्हें प्रदेश का अध्यक्ष बनाया तथा केंद्र में सत्ता में आने के बाद उनको केंद्रीय मंत्री पद से भी नवाजा। 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले वाघेला मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी बनने की जिद पर अड़ गए, जिसके चलते उन्हें कांग्रेस छोड़नी पड़ गई थी।
कॉन्ग्रेस के कुछ आंतरिक सूत्रों के मुताबिक, २०२२ में इलेक्शन आ रहे है इस के पहले बापू को कॉन्ग्रेस में लाने के लिए भाजपा की चाल हे। भाजपा ही उसको कॉन्ग्रेस में प्लांट कर रही है। बापू ने हमेशा भाजपा को प्रत्यश या परोक्ष फायदा ही पहो चाया है। कॉन्ग्रेस को उन्हों ने नुकसान किया है। उनकी गैरहाजरी में २०१७ कॉन्ग्रेस ने चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया था। उनको वापस लाने से पार्टी को कोई फायदा नहीं होगा। बल्की पार्टी में और गृपिज्म को बढ़ावा मिलेगा।
दूसरी ओर,गुजरात सियासत के साथ बात करते हूए कॉन्ग्रेस के एक नेता ने दिल्ली से कहा के पार्टी से ज्यादा बापू को फायदा होगा। गुजरात कॉन्ग्रेस में अभी अंदरूनी लीडरशिप की समस्या हे, ऐसे में शंकरसिंह की धरवापसी हो तो है तो कॉन्ग्रेस को एक चेहरा मिल जाएगा।
बापू की एंट्री बाद शायद कॉन्ग्रेस अब पाटीदार, ओबीसी, दलित, आदिवासी और मुस्लिम वोट के लिए कोई नई थियरी पर काम करे ऐसी संभावना है।
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 Abdulhafiz Lakhani