छारानगर, अहमदाबाद, गुजरात की घटना का फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट 

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www.siyasat.news desk
छारानगर, अहमदाबाद शहर गुजरात राज्य का विस्तार है. यह विस्तार ठीक नरोड़ा पाटिया जहा 2002 के दंगो मे बड़ा जनसंहार हुआ था उससे करीब 1 से 2 km दुरी पर है.  छारानगर नरोड़ा विधानसभा का विस्तार है जिसमे करीब 5 से 6 हजार छारा समुदाय के परिवार रहते है. यह विधानसभा के विधायक BJP के ‘बलरामभाई खूबचंद थावानी’ है और नगर निगम के सारे कॉरर्पोरेटर भी BJP के है.

छारा एक जनजाति है जिसको विचरती विमुक्त जाति भी कहते है. यह विस्तार 1931 में बसा जो क्रिमिनल ट्राइब सेटलमेन्ट – ‘खुली जेल’ से जाना जाता था. छारा समुदाय के लोग ज्यादातर स्ट्रीट परर्फोर्मर रहे है जो कभी एक जगह घर बनाकर नहीं रहे अंग्रेजो ने उन्हें हमेशा ‘संदेह’ से देखा. अंग्रेजो ने ऐसे समुदाय की ‘डिनोटिफाइड जनजाति’ के तौर से अलग सूचि बनाई और उन्हें DNT कहा जाने लगा. दारु बनाना उनकी परंपरा का हिस्सा था जो रोजगार के सवालों के चलते उनका धंधा बन गया. जो अब भी कुछेक परिवार के लोग मज़बूरी के कारण करते है. रोजी-रोटी के सवालो ने इन जनजातियो के लिए गंभीर स्तिथि खड़ी की जिसके कारण छोटी-मोटी चोरी भी करना शुरू किया. तबसे उन्हें क्रिमिनल ट्राइब मानकर उनपर नजर रखी जाने लगी. अंग्रेजो ने ऐसी भटकती जाती को बसमें करने और अंग्रेजो के खिलाफ यह जातियो ने जो विद्रोह किये थे उसे रोकने के लिए कानून बनाकर जनजाति को नजर कैद करने लगे और अलग वसाहत बनाने लगे. आजादी के बादभी लोगो ने इन जनजातियों पर यही लेबल लगाया रखा और उनकी पहचान एक गुनेहगार – चोर के तौर से ही की जाने लगी. 1952 में यहाँ छारानगर बसा. समाज से दूर एक लेबल के साथ रहते यह समुदाय सामाजिक भेदभाव और सरकार की उदासीनता का हमेशा शिकार बनता रहा. “एक लेखक ने इनके लिए कहा है यह समुदाय इतिहास का शिकार है – विक्टिम ऑफ़ धी हिस्ट्री – पुस्तक शहरनामा से”. लेकिन 19वी सदीमें यह समुदाय में शिक्षण-उच्चशिक्षण के प्रति जागृति बहोत हुई है और कलाकार, फिल्ममेकर, पत्रकार, एडवोकेट, टीचर, डोक्टर तक इस समुदाय से लोग निकले है. दक्षिण बजरंगे (फिल्म मेकर, सांस्कृतिक कर्मशील) के अनुसार छारा समाज सरकार की नितियों का शिकार है. सरकार इस समाज के विकास के लिए ठोस निति नहीं बना रही है. इतनी जागृति के बाद मुशकिल से 10 से 12 सरकारी मुलाजिम होंगे. एक सामाजिक स्टिग्मा के वजह से छारा युवा को पढ-लिखने के बाद भी कोइ जल्दी नोकरी पर नहीं रखता है. इस वजह से भी आज तक यह समुदाय में कुछेक परिवार दारु बेचने पर मजबूर है. यह समाज महिला उन्मुख समाज है जिसमे प्राथमिक शिक्षण सभी को दिलवाते है और ख़ास कर लडकियो को. हालाकि आज भी इनके प्रति सामाजिक भेदभाव कायम है. सरकार और प्रशासन भी उनके प्रति घृणा तिरस्कार का रवैया रखती है. छारानगर की घटना इसी मानसकिता को दर्शाती है.

घटना का विवरण

दिनांक 26/7/2018 को सरदारनगर पोलिस स्टेशन PSI मोरी और हेड कोन्स्टेबल महेंद्रसिंह बलदेव सिंह  प्रायवेट गाडी में निकले थे वही मुख्य रास्ते पर रातमे 11:30, 11:45 के करीब छारानगर के 2 स्थानिक लोगो से पूछताछ करने लगे और उसी दौरान गाली-गलोच की गई. झगडा बढ़ा और आपस में मार-पिट हुई. और वे 2 स्थानिक व्यक्ति पुलिस के साथ हुई झड़प के बाद भाग गये. PSI ने यह खबर दी की उनपर 100 से 150 छारा लोगो ने हमला कर दिया है और इसी के चलते पुलिस ने सांगठनिक रूप से छारानगर पर धावा बोल दिया और बेकसूर लोगो पर लाठिया बरसाई. अर्जुननगर सोसायटी, सिंगल चाली और 40 मकान में पुलिस ने घुसकर लोगो को खूब मारा, घरों में और गाड़ीयों को नुकशान पोह्चाया. पुलिसने 50 से ज्यादा वाहनों को नुकशान किया है, जिसमे 35 से ज्यादा 2-व्हीलर, 6 से ज्यादा 4-व्हीलर, 7 से ज्यादा ओटो रिक्षा, लोडिंग रिक्षा, बैंड बोलेरो गाडी शामिल है. रास्ते पर लगे बल्ब, CCTV केमेरा को तोड़ा और कुछ घरों में TV, वॉशिंग मशीन, खिड़की-दरवाजे, बर्तन, ऐसी वगेरा को तोडा गया है. पुलिस ने अनुमानित 5 से 10 लाख तक का वाहनों, घरों, घर के सामान को नुकशान पोह्चाया है. 80 के करीब लोगो को पिटा गया है और जिसमे 35 के करीब लोगो को गंभीर रूप से मारा गया है. जिन्हें घायल होने के कारण अस्पताल में भर्ती करवाया गया था पुलिस ने उन्हें ही अपराधी बना दिया है. पुलिस ने 29 लोगो को हिरासत में लिया है जिसमे सेल्समेन, दुकानदार, रिक्षाचालक, मजदूर, ब्रोकर, 3 एडवोकेट, 1 फोटो जर्नलिस्ट, 1 थियेटर कलाकार शामिल है.

लोगो के साथ बातचीत के दौरान:-

१) पुलिस का किसी 2 लडको के साथ झगड़ा हुआ और उनके बिच मार-पिट हुई इसके चलते पुलिस ने पुरे छारानगर पर हमला कर दिया. ‘हम कहते है कि जिसके साथ पुलिस का झगड़ा हुआ उन पर पुलिस क़ानूनी कार्यवाही करे, उन्हें पकडे, दुसरे बेकसूर लोगो ने क्या गुनाह किया है’. पुलिस ने दो हिस्सों में हमला किया पहली बार में तोड़-फोड़ की, फिर ब्रेक लिया और दूसरी बार में फिर आये और लोगो को पर लाठिया बरसाई और उठा कर ले गए. करीब 25 से 30 गाडी भर कर पुलिस आई थी और छारानगर में दहेशत का माहोल खड़ा कर दिया.

२) जिन लोगो को मारा गया उन्हें यह मालूम ही नहीं था कि हुआ क्या है. ज्यादातर लोग घरों में सो रहे थे, TV देख रहे थे, कुछ लोग हल्ला मचने पर घर से बहार देखने निकले थे, कुछ लोग अपनी गाड़ियों की हुई तोड़-फोड़ के कारण बहार निकले थे, ऐसे तमाम लोगो पर पुलिस ने लाठिया बरसाई है. जिसमे पुलिस ने महिला, बुजुर्ग, विध्यार्थी, मरीज, आँखों से मजबुर व्यक्ति, गर्भवती महिला सभी को मारा और आगे-पीछे कुछ नहीं देखा. ज्यादातर लोगो ने कहा की सारे पुलिस दारु पिये हुए थे. और कुछ सुन ही नहीं रहे थे.

३) पुलिस ने एक घर में घुस कर 3 लोगो को अरेस्ट किया और उसी घर में एक महिला जो पैरालिसिस की शिकार थी उसे और एक दोनों आँखों से मजबूर महिला को चोट पोह्चाई. इसके अलावा 9 महिने से गर्भवती महिला को भी धक्का दिया गया. इसी घर में मेडिकल पढ़ रहे विध्यार्थी पर भी लाठी बरसाई गई. घरवालों का कहना था कि, हमें कुछ मालूम नहीं के हुआ क्या था. पुलिस अचानक से घरमे घुसी दरवाजे को धक्का मारा, और 3 लडको को खूब मारा और पकड़ के ले गए. जाते-जाते बाइक को भी तोड़ दिया. ‘साहब पुलिस वाले पिये हुए थे कुछ सुन नहीं रहे थे, हम तो दारू का धंधा नहीं करते फिर भी हमें मारा’ ‘हमने कहा की हम व्हाईट कोलर के है पर पुलिस ने एक नहीं सुनी. ये नरेंद्र मोदी तो महिलाओं के लिये क्या-क्या करता है और ये पुलिस देखो हमारे साथ कैसा किया’. जिन्हें अरेस्ट किया है उनके नाम है रविन्द्र जीतेन्द्र बातुलिया, विकास बंसीभाई, सिधार्थभाई जगदीशभाई.

४) हम घरमें सो रहे थे पुलिस हमारी गाडी को तोड-फोड़ करने लगी और घर में घुस कर मुझे जोर का मुक्का मारा जिसके कारण में गिर-गई, मेरी विधवा बहु और विधवा बेटी मुझे बचाने आई तो उन्हें भी बहोत मारा. मेरा दामाद मुझे बचाने आये तो उन्हें भी लाठीयों से खूब मारा. हुआ क्या था किसका झगड़ा था हमें तो कुछ पता नहीं था. में तो मरीज हु सुगर है, पैरालिसिस हुआ है फिर भी मुझे मारा एक दिन खाना नहीं खा पाई.

५) पीड़ितो के अनुसार, पुलिसकर्मी सब को बहोत गंदी-गंदी गाली दे रहे थे. यहाँ तक महिलाओ के कपडे भी फाड़े है (यह बात हमने डर के मारे बताई नहीं है) और खूब नंगी, गंदी-गंदी गालिया बोली है.

६) एक पीड़ित महिला ने कहा कि, मेरे घर से मेरे पति और मेरे बेटे दोनों को पुलिस ने पकड़ा है. हमें तो पता नहीं था हुआ क्या है और हम तो आलू-फाफड़े बेचते है और मेरे पति और बेटा सब्जी बजार में नोकरी करते है. उन्हें क्यों पकड़ा हम कहा दारु का धंधा करते है. दोनों को पहले बहोत मारा और फिर साथ में ले गए. घर में TV, कुलर, दरवाजे को भी तोड़ दिया है. जिन्हें अरेस्ट किया है उनके नाम है रविन्द्र तमंचे, हितेश तमंचे.

७) अतुलभाई गागडेकर जो सुगर के मरीज है और उन्हें 2 बार दिल का दौरा आचुका है वह अपने घर में सोये हुए थे तब पुलिसकर्मी एकदम से घर में घुसे और उनकी बेटी जो करीब 16-17 साल की है उसे थप्पड़ मारने लगे. उसे बचाने पड़े अतुलभाई को पुलिस ने खूब मारा और अरेस्ट कर लिया है. घरवालो का कहना था कि क्या हुआ था हमें तो कुछ भी मालूम नहीं. हम कहा दारु का धंधा करते है.

८) अरमान जो पढ़ाई करने के लिए अपनी नानी के यहाँ रहता है वह अपने पिता के यहाँ आया हुआ है. उसके पिता को ‘अविनास मुकेश बतुंगे और चाचा प्रीतेश’ को पुलिस ने पकड़ लिया है. ‘अरमान का कहना था की स्कुल में जाकर क्या करू पापा जेल में है ध्यान नहीं लगता’.

९) चाली में शोर हो रहा था मैं देखने निकला मै घर के बहार ही खड़ा था की पुलिस ने मुझे झपटा और खूब मारा. मुझे देखने आया मेरा भतीजा जो की कोलेज में पढ़ता है उसको भी पुलिस ने खूब मारा है और उसको फ्रेक्चर हुआ है.

१०) लोगो का कहना था कि विनोद पूनम चंद उसी रात में अपने रिश्तेदार के यहाँ मंगनी के अवसर से भावनगर से लौटे थे. पुलिस ने उनसे पुछा कौन हो तुम अपना नाम बताओ और छारा होने का बताने पर उसे गिरफ्तार कर लिया गया.

११) एक फौजी की स्विफ्ट गाडी, होंडा बाइक को बुरी तरह से पुलिस ने तोड़ दिया है. उनका कहना था की कम से कम 60 से 70 हजार का नुकशान किया है. फौजी ने कहा मुझे कुछ मालूम नहीं के हुआ क्या था और मेरी गाडी क्यों तोड़ी गई ?.

१२) छारानगर मुख्य रास्ते पर चाय की दूकान चलाने वाले भाई को उनके घर जाकर पुलिस ने दरवाजा जोर से ठोका और जब वे भाई बहार निकले तो उनसे पुलिस ने कहा की अब भागो, मना करने पर उसे खूब मारा और उसके हाथ को तोड़ दिया. २४ दिन का उन्हे पट्टा आया हुआ है.

१३) पीड़ितो को यह डर है कि कही उन्हें भी पुलिस पकड़ न लेजाय क्योंकि जो लोग पुलिस के खिलाफ बोलने गए पुलिस ने उन्हें ही अपराधी बना लिया. पुलिस ने FIR को खुली रखी है तो और भी लोगो को पकड़ने वाले है ऐसी बाते उन्हें डरा रही है.

१४) आतिश इन्द्रेकर- बुधन थियेटर के साथ जुडे हुए है. आतिश गुजरात और देश भर में नुक्कड़ नाटको, संघर्ष के गीतों, अपनी कविताओ के जरिये पिछले 15 साल से कार्यरत है उन्हें भी पुलिस ने पकड़ लिया है. आतिश घटना के समय पर घायल हुए लोगो का वीडियो दस्तावेज लेने बहार निकले हुए थे तब उन्हें पुलिस ने पकड़ा और उन्हें बहोत मारा. आतिश ने पकडे जाने से पहले एक घायल महिला का वीडियो अपने FB अकाउंट वाल पर पोस्ट किया था जिससे स्पष्ट है की वह बेकसूर है.

१५) दक्षिण बजरंगे एक जाने-माने फिल्म मेकर और देश और दुनिया में अपने कार्यो के कारण  ख्याति प्राप्त प्रतिष्ठित व्यक्ति है. वे अपनी सास को बचाने गए थे उन्हें भी पुलिस ने पीठ पर खूब मारा.

१६) दिनांक 27/7/2018 पुलिस की अमानवीय कार्यवाही के खिलाफ शहर के नागरिको और छारा समाज के लोगो ने सरदारनगर पुलिस स्टेशन पर इकठ्ठा हुए और अपना विरोध दर्शाया. पुलिस ने एडवोकेट, पत्रकार, सामाजिक कर्मशील किसीको भी पुलिस स्टेशन के अंदर जाने नहीं दिया और कई घंटो तक पकडे गए लोगो पर कौनसी धाराएं लगाई गई है वो बताया नहीं गया. पूछने पर पुलिस के द्वारा बताया गया की ऊपर से ऑर्डर नहीं है और अभी पेपर तैयार नहीं हुए है. इससे स्पष्ट है कि पुलिस ने जो कदम उठाया था वो गैरक़ानूनी था और उसे ठीक करने में और कोई अधिकारी फस नजाय उसीकी भाग दौड़ में लगे हुए थे. एवं पकडे गए लोगो को जिस तरह से मारा गया है वेह उजागर न होजाय.

१७) पुलिस के एक आला अधिकारी को पत्रकारों ने यह सवाल किया की लोगो का कहना है की PSI मोरी दारु पिये हुवे थे ? जिसके जवाब में आला अधिकारी ने कहा कि उसे तो में कई सालों से जानता हु और वो तो स्वामीनारायण धर्म पालता है वो तो लसुन, प्याज तक नहीं खाता तो दारू कहा से पिएगा ?. ये बात मै स्वीकारता ही नहीं. इससे पुलिस की मानसिकता स्पष्ट होती है की यदि कोई छारा होगा तो चोर ही होगा या दारू ही पीता होगा. और ऐसे पिछड़ी जाती आवाज़ कैसे उठा सकती है ? और उन्हें मारना ही ठीक है.

१८) मीडिया और कई लोगो के इकठ्ठे हो जाने पर आला अधिकारियों को सरदारनगर पुलिस स्टेशन आना पड़ा और उसी दिन कोर्ट में पकडे गए लोगो की पेशगी के लिए तैयार होना पड़ा. रातमे 11 बजे से शुरू हुई कार्यवाही शाहीबाग मजिस्ट्रेट आर.बी.सोलंकी के बंगले पर 3:30 तक चली. पकडे गए लोगो में से पेश किये गए 6 लोगोने पुलिस के खिलाफ फ़रियाद होने का जज के सामने कहा. जज ने तपास अधिकारी से मेडिकल ट्रीटमेंट के कागज मांगे. जिसकी जाँच करने पर जज ने कहा कि मेडिकल हिस्ट्री है तो इसे ही फ़रियाद मान ली जाय. जिसमे मौजूदा एडवोकेटो ने दलील की और कहा कि यह तो देश की सर्वोच्च अदालत की दिशानिर्देश के अनुसार नहीं है क्योकि पुलिस ने अपराधियों को पकडे जाने के बाद इलाज करवाया है जिसे फ़रियाद माना नहीं जा सकता. बादमे जज ने एक-एक कर पकडे गए लोगो को बुलवाकर लिखित पुलिस के खिलाफ फ़रियाद ली.

१९) पुलिस ने DNA न्यूज पत्रकार का केमेरा तोड़ दिया और पत्रकार को भी पुलिस स्टेशन में बैठा दिया गया. जिसके चलते पत्रकारों ने पुलिस स्टेशन के आगे कुछ समय तक धरना दिया.

अवलोकन :- 
• 2 लोगो के साथ हुए झगडे को पुलिस ने बदले की भावना से पुरे छारा समाज पर लाठिया बरसा कर लिया. और छारा समाज के प्रति की एक स्टिग्मेटिक सोच के चलते पुलिस ने लोगो को घृणा और तिरस्कार से खूब मार मारकर बदला लिया है और छारा समाज से उठ रहे विरोध के स्वर को दबाने के लिए डर पैदा करने यह अमानवीय कार्य किया है.

• तमाम स्थानिक जिन पर अत्याचार हुआ है वह यही कह रहे थे की पुलिस का जिसके के साथ जो झगडा हुआ था, जिन्होंने कानून तोड़ा है उसको पुलिस पकडती और उनपर क़ानूनी कार्यवाही करती. लेकिन बेकसूर लोगो को क्यों मारा ? और क्यों लोगो का नुकशान किया ?. इससे स्पष्ट है कि छारानगर में यदि कोई कानून की नजर में गुनेहगार है या कोई गैरकानूनी कार्य करता है तो उससे बचाने की या उनके तरफ होने वाले मत का कोई नहीं या उनके साथ कोई नहीं है.

• पुलिस का कहना है की लोगो ने उनपर पथराव किया और हमला किया. हालाकि जितने भी वीडियो, CCTV फुटेज को देखा गया और जो सोश्यल मीडिया पर वायरल हुए है उनमे पुलिस ही लोगो पर लाठी बरसाती और घरों, गाड़ियो को नुकशान पोहचाती नजर आ रही है.

• पुलिस ने पहले आकार गाडीयों, बल्ब, CCTV केमेरा को तोडे. इससे स्पष्ट हो रहा है कि पुलिस का जिन 2 लोगो के साथ झगड़ा हुआ उन्हें पकड़ने नहीं बल्कि पुरे समाज पर हमला करने और बदला लेने की भावना से आई थी. जिसमे गाड़ीयो को नुकशान पोह्चाकर पुलिस लोगो को घरों से बहार निकालना चाहती थी, उन्हें उकसाना चाहती थी. ताकी लोगो को मार सके और पकड़ सके. यह एक घृणा की भावना से किया गया पुरे समाज पर दमन है.

• छारानगर में आम तौर पर दारु की रेड होती रहती है. इस वजह से स्थानिक छारा लोगो को यही प्रतित हुआ की दारु की रेड हुई है. मुलाकात के दौरान ज्यादातर लोगो ने कहा की हम कहा दारु बेचते है. लेकिन यह दारु की रेड नहीं थी यह पुलिस का सांगठनिक रूप से हमला था. यह एक दारु की रेड है ऐसी जानबुझकर अफवा फैलाई गई थी ताकि अन्य समाजो में यही सन्देश जाय और पुलिस के दमन के खिलाफ सब एकजुट न हो पाये. पुलिस की FIR से भी स्पष्ट है की यह दारु की रेड नहीं थी.

• लोगो के बढ़ते दबाव के चलते और मीडिया का पूर्ण रूप से मुद्दे को उजागर करने के कारण पुलिस ने जो दमन किया उसे छिपाने और उससे बचने के लिए या उसे समाधान की ओर ले जाने के लिए, बेकसूर लोगो को पुलिस स्टेशन से ही जमानत न मिले, और उनपर कार्यवाही से बचने धारा 392, 332, 333, 143, 147, 148, 149, 337, 427, 341, 186 पकडे गए लोगो पर लगाईं गइ है.

• लोगो के अनुसार, महिलाएं, लडकियों को भी पुरुष पुलिस अधिकारियों ने पिटा है जो कई सारे वीडियो से भी उजगार हो रहा है.

• छारानगर के बच्चों के मानस पर इस घटना की नकारात्मक असर पोह्ची है. जिस पर कार्य करने की जरुरत है.

• लोगो में भय का वातावरण कायम रखने छारानगर में गनमेन पुलिस को तैनात किया हुआ है.

• राजकोट में दलितों पर धाए अत्याचार हो, थानगढ़ में दलित युवाओ पर गोली चलाना हो, मुसलमानों पर दंगो के दौरान पुलिस का भेद्भावी रवैया हो, बेकसूर पटेलो पर पुलिस का दमन हो, या छारा लोगो पर दमन हो, पुलिस का दमन निर्दोषों पर बढ़ता ही जा रहा है. जिसकी वजह है कि ऐसी घटना में पुलिस पर सख्त क़ानूनी कार्यवाही नहीं की जाती है और सजा नहीं दी जाती. उन्हें सिर्फ दंड या तो सस्पेंड किया जाता है फिर बाद में उन्हें वापस दूसरी जगह डयूटी पर रख भी दिया जाता है.

• कुछ समय से DNT, विचरती-भटकती जातियो पर हमले आम हो रहे है जिसमे में जून महीने में हुई शांति देवी की भीड़ के द्वारा ह्त्या के बाद ख़ास तौर से छारानगर से सिस्टम के खिलाफ विरोध के स्वर उठ रहे थे. एवं DNT समुदाय के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक विकास के लिए संगठन भी बन रहे है. जिसके चलते छारानगर के लोग और कुछ साथी अहम भूमिका निभा रहे है. यह सारी घटनाए देखे तो इस तरह से छारानगर पर टूट पड़ना इन सब आवाजो को दबाने की ओर भी इशारा कर रही है.

• जैसे अंग्रेजो को इन जाति के लोगो से भय था की कही यह सारे हमारे खिलाफ विद्रोह में जित न जाय वैसे ही आज की मौजूदा सांप्रदायिक सरकार को भय है की यह जातियों के लोग सरकार के खिलाफ एकजुट होकर आवाज न उठाए जो उनकी सत्ता को हिला दे इस कारण से इन जातियों पर कई तरह के हमले किये जा रहे है.

कुछ मांग / सुझाव :

१) घटना की निष्पक्ष जांच  सिटिंग जज की अध्यक्षता में करवाई जाय और पुलिस के खिलाफ सख्त क़ानूनी कार्यवाही होनी चाहिए. और उन्हें IPC के तहत सजा दी जानी चाहिए. और जो भी इस घटना के लिए दोषी है उनपर क़ानूनी मुकदमे चलाये जाय. पुरुष पुलिस अधिकारियों ने जो महिलाओ को मारा है उनपर कोर्ट के आदेश अनुसार कार्यवाही की जाय.

२) तमाम घायलों के स्टेटमेंट दर्ज किये जाय उनका मेडिकल करवाया जाय और दोषीयों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाय. और उन्हें सुरक्षा दी जाय.

३) छारानगर में भय का माहोल बनाने जो गनमेंन पुलिस फ़ौज को तैनात किया गया है उन्हें तत्कालीन हटाया जाय.

४) जो लीडर इस मामले में निष्पक्ष भूमिका अदा कर रहे है, न्याय के लिए लड़ रहे है, उन्हें गलत तरीके से फसाया न जाय; इस बात को ध्यान में रख कर क़ानूनी प्रक्रिया की जाय

५) पकडे गये बेकसूर लोगो को बेगुनाह रिहा किया जाय और उनपर लगाई सारी धाराएं हटाई जाय.

६) जिन लोगो को पुलिस के द्वारा गंभीर रूप से चोटे पोह्चाई गई हो उन्हें सरकार मुआवजा जाहिर करे.

७) बच्चों के मानस को हकारात्मक बनाने के लिए बच्चों के साथ गतिविधियाँ करनी चाहिए.

८) छारा समुदाय के आर्थिक-सामाजिक-शैक्षणिक विकास के लिए समुदाय के साथ मिलकर ठोस  निति बनाकर उसे अमल किया जाय.
(इस मुलाकात में एडवोकेट शमशाद पठान , होज़ेफा उज्जैनी, मो. शरीफ मलेक, खैरुननिसा पठान, सुशीला प्रजापती, स्थानिक त्रुशिक, कृष्णकांत, अंकित राठोड, अभिषेक इन्द्रेकर मौजूद रहे )