siyasat.net news desk
नई दिल्ली
जमीयत उलमा ए हिन्द के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने जवाहरलाल नेहरू युनिवर्सिटी में ‘इस्लामी आतंकवाद ‘ के शीर्षक से कोर्स शुरू किये जाने की कड़े शब्दों में निंदा एवं भर्त्सना की है मौलाना मदनी ने इस सिलसिले में शिक्षा मंत्रालय ,यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर एम जे कुमार और चांसलर श्री विजय कुमार सारस्वत को पत्र लिख कर चेताया है कि आतंकवाद को इस्लाम से जोड़ना एक घिनौना षड्यन्त्र और इस्लाम धर्म का अपमान है जिसे किसी भी स्तिथि में स्वीकार नहीं किया जा सकता .मौलाना मदनी ने इसे इस्लामोफोबिया का प्रोपोगेन्डा बताते हुए यह शंका प्रकट की है कि इस से अकादमिक साम्प्रदायिकता को बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने अपने पत्र में जेएनयू प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर उसने अपना फ़ैसला वापस नहीं लिया तो जमीअत उलमा ए हिन्द अदालती कार्रवाई करने पर मजबूर होगी .यह बहुत अफ़सोस की बात है कि धर्मनिरपेक्ष चरित्र की पक्षधर युनिवर्सिटी इतना नीचे स्तर पर आ कर साम्प्रदायिक तत्वों के उद्देश्यों को पूरा कर रही है जो देश के ताने बाने को छिन्न भिन्न करने पर उतारू हैं.
मौलाना मदनी ने कहा कि किसी भी धर्म को आतंकवाद से जोड़ना मूलभूत रूप में गलत है यह अत्यधिक चिंता का विषय है कि इस्लाम जैसे शांति प्रिय धर्म जिसकी नज़र में एक इन्सान का कत्ल पूरी मानवता के कत्ल के बराबर है को आतंकवाद जैसे नापाक कार्य के साथ जोड़कर पेश किया जाये. मौलाना मदनी ने स्पस्ट किया कि आतंकवाद के नाम पर पूरी दुनिया में जंग करने वाली बड़ी बड़ी ताकतें भीं इस्लामी आतंकवाद की ऐसी परिभाषा अपनाने का साहस नहीं करतीं हैं यहां तक कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जार्ज डबल्यू बुश और बराक ओबामा और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने स्पस्ट तौर से इस्लामी आतंकवाद जैसी संज्ञा –परिभाषा को गलत बताया और इनकी दलीलें थीं कि इस तरह की भाषा परिभाषा आतंकवादियों के उस प्रोपगंडा को सही ठहराने के बराबर है जो अपने कार्यों को धार्मिक जंग बतला रहे हैं
मौलाना मदनी ने कहा कि इन विश्व व्यापी और एतिहासिक तथ्यों को नज़र अंदाज़ करके अपने कार्यों से जेएनयू प्रशासन ने दुनिया भर के इन लाखों मुसलमानों का दिल दुखाया है कि जो शांति प्रिय हैं और जिन्होंने आतंकवाद के ख़िलाफ़ जंग में अपनी जानें कुर्बान की हैं उन्होंने कहा कि खुद भारत में हमारी संस्था जमीअत उलमा ए हिन्द ने आतंकवाद के ख़िलाफ़ छ हज़ार उलमा के दस्तखत से फतवा जारी किया और पिछले 15 सालों से हर मोर्चे पर मुकाबला कर रही है हमने पूरे देश में बड़ी बड़ी कान्फ्रेंसें आयोजित करके यह सन्देश दिया कि इस्लाम आतंकवाद को समाप्त करने वाला धर्म है
मौलाना मदनी ने कहा कि युनिवर्सिटी ने न सिर्फ मुसलमानों का बल्कि देश में उन सारे शांतिप्रिय लोगों का दिल दुखाया है जो सारे धर्मों का सम्मान करते हैं उन्होंने स्पस्ट किया कि जमीयत उलमा ए हिन्द नेशनल सेक्युरिटी स्टडीज़ सेन्टर और इससे सम्बन्धित कोर्स शुरू करने के विरुद्ध नहीं है बल्कि वह आतंकवाद के ख़िलाफ़ किसी भी सच्चे और संवेदनशील कार्यों में सहयोग देने को तैयार है मौलाना मदनी ने प्रशासन से इच्छा व्यक्त की कि वह दो सप्ताह के अन्दर आशातीत और सकरात्मक उत्तर देगा