जो डरे हुए हैं वो पार्टी छोड़ सकते हैं’, राहुल के इस बयान के क्या हैं राजनीतिक मायने? राहुल गांधी यह दिखाना चाहते हैं कि कांग्रेस अपनी वैचारिक के स्थिति पर मजबूती से कायम है। जो लोग इसके साथ नहीं चल सकते हैं वह पार्टी छोड़ सकते हैं।
अब्दुल हफीज लखानी सियासत डॉट नेट
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि जो लोग हकीकत और भाजपा का सामना नहीं कर सकते वो पार्टी छोड़ सकते हैं और निडर नेताओं को कांग्रेस में लाना चाहिए। उन्होंने कांग्रेस के सोशल मीडिया विभाग के पदाधिकारियों के साथ डिजिटल कार्यक्रम में कि जो लोग डरे हुए थे वो कांग्रेस से बाहर चले गए। अपने संबोधन में राहुल ने कहा कि बहुत सारे लोग जो डरे हुए नहीं है, लेकिन कांग्रेस से बाहर हैं। ऐसे सभी लोग हमारे हैं। उन्हें अंदर लाइए और जो हमारी पार्टी में हैं और डरे हुए हैं उन्हें बाहर करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया, ‘‘ये आरएसएस के लोग हैं और उन्हें बाहर जाना चाहिए, उन्हें आनंद लेने दीजिए। हम उन्हें नहीं चाहते हैं, उनकी जरूरत नहीं है। हमें निडर लोगों की जरूरत है। यही हमारी विचारधारा है। यही आप लोगों को मेरा बुनियादी संदेश है।’’ सिंधिया का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें अपना घर बचाना था, वह डर गए और आरएसएस के साथ चले गए।’’
राहुल गांधी के इस बयान के बाद सबसे बड़ा सवाल यही है कि उन्होंने ऐसा किसके लिए कहा। राहुल गांधी की टिप्पणी इस मायने में महत्वपूर्ण है कि पिछले कुछ महीनों में कांग्रेस के कई नेता भाजपा में शामिल हो गए। इनमें सिंधिया और जितिन प्रसाद प्रमुख हैं। माना जा रहा है कि राहुल ने यह बयान सिंधिया और जितिन प्रसाद को साधने के लिए ही दिया होगा। राहुल गांधी का यह हमला तीखा था। साथ ही साथ उन नेताओं को भी संदेश दिया गया जो पार्टी से नाराज चल रहे हैं। फिलहाल नाराज नेताओं की सूची लंबी है। गुलाम नबी आजाद, मनीष तिवारी, कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा, सचिन पायलट, मिलिंद दोवड़ा, संजय निरुपम जैसे नेता शामिल हैं। जी-23 के नेता भी लगातार पार्टी में सुधारों की वकालत करते रहे हैं। ऐसे में उन्हें भी पार्टी से नाराज माना जा रहा है। राहुल गांधी ने यह बयान सभी को एक संदेश के तौर पर दिया गया है।
राहुल गांधी यह दिखाना चाहते हैं कि कांग्रेस अपनी वैचारिक के स्थिति पर मजबूती से कायम है। जो लोग इसके साथ नहीं चल सकते हैं वह पार्टी छोड़ सकते हैं। राहुल का संदेश इस मायने में भी महत्वपूर्ण है क्योंकि कुछ ऐसे नेता भी हैं जो उनके अध्यक्ष पद के बीच में रोड़ा बन रहे हैं। ऐसे में राहुल उन्हें भी बड़ा संदेश देना चाहते हैं। सूत्र बता रहे हैं कि राहुल ने जब यह बयान दिया तो काफी आक्रमक तेवर दिखा रहे थे। एक तरफ पार्टी की विचारधारा को पालन न करने वाले नेताओं को बाहर निकलने को कह दिया तो वहीं कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भाजपा से नहीं डरने की सलाह भी दे दी। जाहिर सी बात है राहुल इस परिस्थिति को समझते हैं कि अगर पार्टी में वर्तमान की जो कलह है उसको सुलझाना है तो अपने आप को मजबूती के साथ कार्यकर्ताओं के बीच में रखना पड़ेगा। साल 2019 के बाद से ही कांग्रेस में लगातार नूराकुश्ती हो रही है। अंतर्कलह और गुटबाजी की वजह से कांग्रेस को फिलहाल अध्यक्ष नहीं मिल पा रहा है।
संसद के मॉनसून सत्र के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए कांग्रेस कार्य समिति की बैठक बुलाई जाएगी। इसके अलावा पंजाब में प्रदेशाध्यक्ष समेत कई बदलाव होने वाले हैं। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक 2-3 दिनों के भीतर ही पंजाब कांग्रेस को लेकर कोई अहम निर्णय आ सकता है। किसे पार्टी प्रदेश अध्यक्ष दिया जाएगा ? इस पर अभी अंतिम फैसला नहीं किया गया है।
कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव स्थगित होने और राहुल गांधी द्वारा औपचारिक रूप से कार्यभार संभालने से इनकार किए जाने के बाद पार्टी एक फॉर्मूले पर विचार कर रही है। कहा जा रहा है कि नेतृत्व संकट से जूझ रही कांग्रेस के खालीपन को भरने के लिए एक से अधिक उपाध्यक्ष नियुक्त किया जा सकता है। हालांकि इस प्रस्ताव पर एक साल से विचार किया जा रहा है। लेकिन संगठनात्मक चुनाव के स्थगित होने के बाद एक बार फिर से इस पर चर्चा शुरू हो गई है।
अंग्रेजी समाचार पत्र ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने बताया कि इस प्रस्ताव पर चर्चा हो रही है, लेकिन यह देखना होगा कि एआईसीसी के आगामी फेरबदल में क्या होता है। इसके अलावा उन्होंने बताया कि वर्तमान में इस पर चर्चा चल रही है कि ‘उपाध्यक्ष’ या फिर ‘कार्यकारी अध्यक्ष’ नियुक्त किया जाए या नहीं।
माना जा रहा है कि क्षेत्रीय जिम्मेदारियों के साथ उपाध्यक्षों को नियुक्त किया जा सकता है। हालांकि प्रियंका गांधी वाड्रा को लेकर भी कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। अटकलें हैं कि एआईसीसी की बैठक में महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा उत्तर प्रदेश की प्रभारी रहेंगी भी या नहीं, इस पर भी फैसला हो सकता है।
कांग्रेस कार्य समिति के बैठक में राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा देते हुए स्पष्ट किया था कि गांधी परिवार के बाहर के विकल्प तलाशें जाएं और प्रियंका को अध्यक्ष बनाने के बारे में बिल्कुल भी विचार न हो। हालांकि बाद में राहुल गांधी को मनाने का सिलसिला शुरू हो जाए। ज्यादातर नेताओं का कहना था कि राहुल गांधी ही पार्टी को आगे बढ़ा सकते हैं, लेकिन वो अपनी जिद पर अड़े हुए हैं। कहा तो यह भी जा रहा था कि संगठनात्मक चुनाव के जरिए राहुल गांधी की वापसी होने वाली है।
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