ओवैसी की पार्टी गुजरात में, मगर बिहार में अख़्तरूल ईमान ने क्या कहा?

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पटना  siyasat.net

बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल युनाइटेड यानी जदयू विधानसभा में अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटी है। वह तेजी से दूसरे दलों के विधायकों को पार्टी में शामिल कर रही है। इसी सिलसिले में  बड़ी खबर यह मिली कि बिहार में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के पांचों विधायकों ने नीतीश कुमार से मुलाकात की। संभव है ये भी जल्द जदयू का दामन थाम लें।
सोशल मीडिया और कुछ मीडिया संस्थानों द्वारा इस बात की चर्चा की जा रही है कि ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लिमीन (मजलिस) के बिहार सरबराह अख़्तरूल ईमान अपने पांचों विधायकों के साथ जदयू ज्वाईन करने जा रहे हैं.
दरअसल, ये ख़बर मजलिस के पांचों विधायकों की आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाक़ात के बाद आई है. लेकिन इस ख़बर में कितनी सच्चाई है, इसकी हक़ीक़त जानने के लिए जब ने मजलिस के बिहार सरबराह अख़्तरूल ईमान से बात की तो एक अलग ही कहानी निकल कर सामने आई.
ख़ास बातचीत में अख़्तरूल ईमान ने बताया कि उनकी ये मुलाक़ात सीमांचल के लिए स्पेशल पैकेज की मांग को लेकर थी. इसके बाद हम बिहार के गवर्नर साहब से भी मिलने वाले हैं. अगर तब भी सीमांचल की अनदेखी की गई तो हम सड़कों पर उतरेंगे और एक बड़ा जन आन्दोलन करेंगे.
वो एक लंबी बातचीत में कहते हैं कि सीमांचल में नदियों का तांडव है. गरीबों की हज़ारों हेक्टेयर ज़मीन नदी में विलीन हो गई है. हज़ारों परिवार विस्थापित हैं और सैकड़ों बस्तियां निशाने पर हैं. हम लोग इसी मसले को लेकर नीतीश कुमार से मिलने गए थे. उन्हें अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के किशनगंज सेन्टर के मसले को भी याद दिलाया. और ज़ाहिर है कि विधायक हैं तो राज्य के मुखिया के नहीं तो क्या परचून की दुकान वाले से ये मसले हल होंगे? सीमांचल के लोगों ने हम पर भरोसा किया है और हम उनकी हर मुमकिन लड़ाई ज़रूर लड़ेंगे.
तो ये जो कहा जा रहा है कि आप जदयू ज्वाईन कर रहे हैं, ये बात कितनी सच है? इस सवाल पर अख़्तरूल ईमान कहते हैं कि हम कहने वालों की परवाह नहीं करते. अगर किसी में राजनीतिक समझ नहीं है तो हम उनकी समझ के लिए दुआ करेंगे.
और जिन मीडिया घरानों ने आपकी इस मुलाक़ात पर अटकलें लगाई हैं, उस पर आपका कहना है? इस पर वो कहते हैं कि इस वक़्त मीडिया का काम देश व लोकतंत्र के हित में नहीं है. अगर उनको हम लोगों की मुलाक़ात में इतनी ही दिलचस्पी है तो उन्हें सीमांचल जाकर वहां की तड़पती आबादी, कटी हुई बस्ती और लुटे हुए लोगों को देखना चाहिए. ख़बर उन्हें इनकी बनानी चाहिए.
अंत में वो ये भी कहते हैं कि उन्हें ये भी पता नहीं कि अख़्तरूल ईमान अगर चला जाएगा तो अख़्तरूल ईमान ज़िन्दा भी रहेगा क्या. साथ ही वो ये भी कहते हैं, ‘ज़मीर बेच कर ज़िंदा रहूं ये नामुमकिन, मैं अपने आप से दगा करूं ये नामुमकिन, ज़माना तुमको मसीहा कहे ये मुमकिन है, मैं तुम्हें मसीहा कहूं ये नामुमकिन’
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