गांधी जयंती: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती

0
13

हर साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है, जो महात्मा गांधी के जन्मदिन का प्रतीक है। मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें प्यार से बापू कहा जाता है, ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका जीवन, उनके विचार और उनके अहिंसा के सिद्धांत आज भी पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा हैं

महात्मा गांधी का जीवन और शिक्षा

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भारत में प्राप्त की और फिर इंग्लैंड से वकालत की पढ़ाई की। गांधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में अपने प्रारंभिक जीवन के दौरान नस्लभेद और अन्याय का सामना किया, जिसने उनके जीवन में बड़े बदलाव लाए। यहीं से उन्होंने सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांतों को अपनाया।

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका

गांधीजी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अहिंसात्मक आंदोलन चलाया और लाखों भारतीयों को स्वाधीनता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। उनके द्वारा चलाए गए प्रमुख आंदोलनों में नमक सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन शामिल हैं। गांधीजी का मानना था कि अहिंसा और सत्य के माध्यम से ही किसी भी समस्या का समाधान किया जा सकता है।

सत्य और अहिंसा के सिद्धांत

गांधीजी का जीवन सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों पर आधारित था। उनके अनुसार, सत्य की खोज मनुष्य का सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार की हिंसा न केवल शारीरिक नुकसान पहुंचाती है, बल्कि समाज और आत्मा को भी कमजोर करती है। इसीलिए उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई में अहिंसात्मक तरीकों का इस्तेमाल किया।

गांधी जयंती का महत्व

गांधी जयंती न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में अहिंसा दिवस के रूप में मनाई जाती है। इस दिन को महात्मा गांधी के योगदान और उनके सिद्धांतों को याद करने का अवसर माना जाता है। स्कूल, कॉलेज और सरकारी संस्थानों में इस दिन विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। संयुक्त राष्ट्र ने भी गांधीजी के योगदान को मान्यता दी है और 2 अक्टूबर को **अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस** के रूप में घोषित किया है।

निष्कर्ष

महात्मा गांधी ने दुनिया को यह सिखाया कि बिना हिंसा के भी बड़े से बड़े संघर्षों को जीता जा सकता है। उनका जीवन एक प्रेरणा है और उनके सिद्धांत आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने स्वतंत्रता संग्राम के समय थे। गांधी जयंती हमें उनके आदर्शों को अपनाने और उन्हें जीवन में उतारने की प्रेरणा देती है।