अब अस्पताल में सेकुलरिज्म, हमारी जिम्मेदारी नहीं है: असदुद्दीन ओवैसी, महाराष्ट्र में मुस्लिमों की 12 फीसदी आबादी में मात्र तीन फीसदी मुस्लिम उम्मीदवार
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) असदुद्दीन ओवैसी महाराष्ट्र में लगातार चुनावी रैलियां कर रहे हैं. ओवैसी ने नांदेड़ में चुनावी सभा को संबोधित किया और भारतीय जनता पार्टी-कांग्रेस पर निशाना साधा. इसी दौरान उन्होंने मुस्लिम वोटरों से अपील करते हुए कहा कि अब खुदा के लिए सेकुलरिज्म को भूल जाओ और एकजुट होने का काम करो.
नांदेड़ की जनसभा में असदुद्दीन ओवैसी बोले, ‘..हमको अपने नुमाइंदों की जरूरत है, भूल जाओ खुदा के लिए सेकुलरिज्म, अब अस्पताल में सेकुलरिज्म है हमारी जिम्मेदारी नहीं है अब ये कांग्रेस की जिम्मेदारी है. हमने 70 साल काफी हक अदा किया है.’
ओवैसी ने आगे कहा, ‘..आज हमारे नुमाइंदे नहीं हैं, इसकी मिसाल है याकूब मेनन को फांसी मिली, कौन उसके खिलाफ आवाज़ उठी…याकूब मेनन को तुम बचा सकते थे, क्योंकि भारत सरकार के पास पावर है कि सुप्रीम कोर्ट की फांसी को उम्रकैद में बदल सकते हैं. लेकिन याकूब की बारी में नहीं हो सका लेकिन पंजाब के CM को मारने वाले के लिए ऐसा हो गया.’ओवैसी ने कहा कि अगर हमारे (मुसलमानों) के 40-50 नुमाइंदे होते तो हम सभी को बचा सकते थे.
महाराष्ट्र में हिंदुओं के बाद दूसरी सबसे बड़ी आबादी मुस्लिमों की है। करीब 12 फीसदी मुसलमान (एक करोड़ 30 लाख से अधिक) हैं, लेकिन 21 अक्तूबर को होने जा रहे विधानसभा चुनाव में बमुश्किल तीन फीसदी ही मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में हैं। राज्य की 288 विधानसभा सीटों के लिए 3,239 उम्मीदवार मैदान में खड़े हैं, लेकिन इनमें मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या 100 से कुछ ही अधिक है।
खास बात यह है कि राज्य में चुनाव लड़ रही चार प्रमुख पार्टियों ने मिलकर डेढ़ दर्जन मुस्लिम उम्मीदवार तक नहीं उतारे। जबकि राज्य में चुनाव लड़ रही सभी अधिकृत पार्टियों के उम्मीदवारों की कुल संख्या 60 है। बाकी मुस्लिम निर्दलीय मैदान में हैं।
पार्टीवार देखें तो सबसे ज्यादा 164 सीटों पर लड़ रही भाजपा ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं खड़ा किया। भाजपा ने 2014 में भी किसी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया था। जबकि 124 जगहों पर लड़ रही उसकी सहयोगी शिवसेना ने केवल दो मुस्लिमों को टिकट दिया। जिसमें कांग्रेस से शिवसेना में आने वाले अब्दुल सत्तार और मराठी फिल्म अभिनेत्री दीपाली/सोफिया सैयद शामिल हैं।
कांग्रेस ने 11 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं, जिनमें से तीन वर्तमान विधायक हैं, जबकि उसकी सहयोगी एनसीपी ने एक वर्तमान विधायक समेत चार मुस्लिमों को टिकट दिया है। दोनों पार्टियां 125-125 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं।A