यू.पी. सरकार द्वारा मुज़फ्फरनगर दंगे में नामदर्ज लोगों पर से केस हटाने के खिलाफ हुआ धरना व उपवास |

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जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय व जन कल्याण उपभोक्ता समिति ने यू.पी. सरकार द्वारा मुज़फ्फरनगर दंगे में नामदर्ज लोगों पर से केस हटाने के कदम के खिलाफ आज धरना व उपवास किया | इस मौके पर विभिन्न गांवों से आई महिलाओं ने बड़ी संख्या में शिरकत की |

धरने पर खुदाई खिदमतगार की ओर से आये फैसल खान ने कहा कि “धर्म और जाति के नाम पर बांटकर देश चलाने की मुहिम सफल नहीं होने देंगे|“

ग्रामीण महिलाओं का कहना था कि गांवों में मनरेगा में नौकरी मिलती नहीं तो सरकार ऐसे मुद्दों पर ध्यान ना देकर संगीन प्रकरणों में नामदर्ज लोगो को खुला छोड़ने की बात कर रही है । यह हमें बर्दाश्त नहीं करेंगे

उत्तर प्रदेश के समन्वयक मनीष गुप्ता जी ने यू.पी. सरकार के इस कदम की निंदा करते हुए कहा कि “सरकार को कोई अधिकार नहीं कि वह न्यायिक प्रक्रिया को बाधित करें। हम न्याय प्रक्रिया को पूरा करने की बात कह रहे हैं” ।

राष्ट्रीय समन्वयक विमल भाई ने जिन्हीने एक दिनी उपवास रखा था कहा कि “अगर मुकदमे वापस लेने की बात होती है तो कासगंज ताज़ातरीन घटनाहैं । हजारों लाखों बेगुनाह पूरे देश में सड़ रहे हैं सरकारी क्यों नहीं हो उन मुद्दों पर ध्यान देती चाहिए | 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी है। अपराध मुक्त उत्तर प्रदेश के नाम पर आप अपराधियों को बिना न्यायिक प्रक्रिया के खुला छोड़ रहे हैं यह अपराध को बढ़ाने का तरीका हैं”।

धरने पर दिल्ली से उवेस सुल्तान खान, मेहा खंडूरी, ए. सी. माइकल, फैजान आलम, रवीश आलम, मोहम्मद अबूबकर चौधरी, मनीष कुमार विभिन्न दंगा पीड़ित गांव और ताजा तरीन घटनाओं के क्षेत्र से होकर आए थे ।

सब की ओर से जिलाधिकारी मुजफ्फरनगर को एक ज्ञापन भेजा गया। धरने पर यह भी तय किया गया कि इस मुद्दे को इसी तरह नहीं छोड़ा जाएगा अगले कुछ दिनों में मुजफ्फरनगर दिल्ली में बैठकर प्रदर्शन का आयोजन होगा सरकार इस बात से बेफिक्र नहीं हो सकती कि वह न्याय प्रक्रिया में धूल झोंककर एक खास वर्ग को खुश करके वोट हासिल करने की तैयारी हो।