Congress needs major surgery, senior leaders leaders must make way for young turks

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कोंग्रेस को बड़ी सर्जरी की जरूरत, सोनिया, मनमोहनसिंह, अहमद पटेल, समेत वरिष्ठ नेतागण आराम करे

 
  Abdul hafiz lakhani  siyasat.net                 
 

कभी देश पर एकछत्र राज करने वाली कांग्रेस पार्टी आज अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के हाथों सत्ता गंवाने के बाद कांग्रेस पार्टी फिर से उबर नहीं पा रही है। 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त के साथ ही कांग्रेस पार्टी देश के अधिकांश प्रदेशों में भी अपनी सत्ता गंवा चुकी है। इससे देश भर में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का मनोबल कमजोर हुआ है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार करारी हार के बाद तो कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर आवाज मुखर होने लगी हैं। कई बड़े नेता संगठन में बदलाव की मांग करने लगे हैं। देखा जाए तो कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व बूढ़ा हो गया है। कांग्रेस में बड़े पदों पर बैठे सभी बुजुर्ग नेताओं के स्थान पर युवा नेताओं को आगे लाने की मांग धीरे-धीरे तेज होने लगी है। कांग्रेस में बड़े पदों पर बैठे कई नेता तो ऐसे हैं जिन्होंने आज तक कोई चुनाव नहीं लड़ा है। वहीं कई नेताओं को चुनाव लड़े जमाना बीत चुका है।

कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी खुद 73 वर्ष की हो चुकी हैं। वो अक्सर बीमार रहती हैं जिससे अधिक मेहनत भी नहीं कर पाती हैं। 1998 से कांग्रेस का नेतृत्व अधिकतर उन्हीं के हाथों में रहा है। कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अहमद पटेल 71 वर्ष के हो चुके हैं। पटेल 18 साल तक सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार रहे हैं। हालांकि पटेल ने 1977, 1980 व 1984 में लगातार तीन बार लोकसभा का चुनाव जीता था तथा राजीव गांधी सरकार में संसदीय सचिव भी बने थे। लेकिन बीते 36 वर्षों में उन्होंने कोई चुनाव नहीं जीता। राज्यसभा के रास्ते ही वो अपनी संसदीय सीट बचाये रखते हैं। 78 वर्षीय अंबिका सोनी कांग्रेस की वरिष्ठ नेता हैं तथा वर्षों से राज्यसभा में जमी हुई हैं। उन्होंने अपने जीवन में कभी कोई चुनाव नहीं जीता। संजय गांधी के जमाने में आपातकाल के दौरान अंबिका सोनी युवा कांग्रेस की अध्यक्ष होती थीं। उन्हें 1976 में ही राज्यसभा में भेजा गया था। सोनी लम्बे समय से केन्द्र में मंत्री व कांग्रेस महासचिव बनती आई हैं।

71 साल के गुलाम नबी आजाद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे हैं। अभी हरियाणा के प्रभारी महासचिव और कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य हैं। आजाद युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं। उन्होंने 1980 व 1984 में महाराष्ट्र के वाशिम से लोकसभा चुनाव जीता था। कहने को तो आजाद कांग्रेस के बड़े मुस्लिम चेहरे हैं। मगर 1984 के बाद से वे खुद कोई चुनाव नहीं जीत पाये हैं। आजाद अभी राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं तथा पांचवीं बार राज्यसभा के सदस्य हैं। जब भी केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनती है तो आजाद मुस्लिम कोटे से कैबिनेट मंत्री बन जाते हैं। केंद्र में सरकार नहीं रहती है तो वह कांग्रेस संगठन में पदाधिकारी रहते हैं। आजाद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बने थे तब भी इन्होंने विधानसभा के बजाय विधान परिषद के रास्ते ही विधायक बनना पसंद किया था।

मोतीलाल वोरा 93 वर्ष की उम्र में भी कांग्रेस महासचिव व कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य हैं। वोरा मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल व कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रह चुके हैं। 1998 में वोरा ने अपनी जिंदगी का अंतिम चुनाव जीता था। वोरा कई बार राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे 78 साल में की उम्र में महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रभारी महासचिव हैं। जहां पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 2 से 1 सीट पर आ गई थी। खड़गे कांग्रेस के बड़े दलित नेता हैं व कई बार सांसद, विधायक, मंत्री रह चुके हैं। हालांकि वे 2019 का लोकसभा चुनाव हार चुके हैं। महाराष्ट्र कांग्रेस के कई नेता इनकी कार्यशैली का अक्सर  विरोध करते रहते हैं।

60 साल के मुकुल वासनिक एनएसयूआई व युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। वो 1984, 1991, 1998 व 2009 में 4 बार लोकसभा सदस्य चुने गए थे। वहीं पांच बार लोकसभा के चुनाव में हार भी चुके हैं। 2019 में उन्होंने लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा था। वासनिक कांग्रेस में बड़े दलित नेता माने जाते हैं। केंद्र में जब भी कांग्रेस की सरकार बनती है तो वासनिक मंत्री रहते हैं और सरकार नहीं रहने पर पार्टी महासचिव रहते हैं। 72 वर्ष के हरीश रावत कांग्रेस महासचिव हैं। रावत चार बार लोकसभा सदस्य, एक बार राज्यसभा सदस्य, एक बार विधायक, केंद्र सरकार में मंत्री व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। 2017 में रावत जब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने अपनी पसंद के दो विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ा था तथा दोनों ही क्षेत्रों में हार गए थे।

मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महासचिव व कार्यसमिति सदस्य दीपक बावरिया ने कभी चुनाव नहीं लड़ा। अपने गृह प्रदेश गुजरात में भी इनका कोई जनाधार नहीं है। कांग्रेस महासचिव अविनाश पांडे महाराष्ट्र से एक बार विधान परिषद व राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं। इन्होंने जिंदगी में कभी कोई चुनाव नहीं जीता। अभी राजस्थान के प्रभारी महासचिव व कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य हैं। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल केरल में तीन बार विधायक, दो बार सांसद, राज्य व केन्द्र सरकार में मंत्री रह चुके हैं। 2019 में इन्होंने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था मगर इनके स्थान पर चुनाव लड़ने वाले कांग्रेसी उम्मीदवार हार गए थे। वेणुगोपाल राहुल गांधी के नजदीकी नेताओं में शुमार होते हैं।

ज्योतिरादित्य सिंधिया आधे उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महासचिव हैं। 49 वर्षीय सिंधिया चार बार लोकसभा सदस्य व केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके हैं। सिंधिया मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री प्रबल पद के प्रबल दावेदार थे। लेकिन वहां कमलनाथ को मुख्यमंत्री बना दिया गया जिससे वह पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे हैं। प्रियंका गांधी के आधे उत्तर प्रदेश की प्रभारी महासचिव रहते पिछले लोकसभा चुनाव में उनके भाई राहुल गांधी अपनी परम्परागत अमेठी सीट से चुनाव हार गये थे। उप चुनावों में भी वहां कांग्रेस के सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गयी थी।

केरल के दो बार मुख्यमंत्री रहे ओमन चांडी 77 वर्ष की उम्र में भी महासचिव बने हुए हैं। चांडी 11 बार केरल विधानसभा का चुनाव जीत चुके हैं। उम्र अधिक होने के कारण वो अधिक भागदौड़ करने में समर्थ नहीं हैं। कुछ समय के लिए गोवा के मुख्यमंत्री रहे लुइझिनो फलेरो 69 साल की उम्र में पूर्वोत्तर के सभी राज्यों के प्रभारी महासचिव हैं। वह 7वीं बार गोवा में विधायक बने हैं। गोवा विधानसभा में कांग्रेस का बहुमत होने के बाद भी वहां सरकार बनाने में असफल रहने का ठीकरा उनके सिर पर भी फूटा था।


कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, कोषाध्यक्ष अहमद पटेल के अलावा 13 महासचिवों की टीम के अधिकांश सदस्य उम्र पार कर चुके हैं। सोनिया गांधी को छोड़कर इनमें से कोई भी नेता लोकसभा सदस्य नहीं है। अहमद पटेल, अंबिका सोनी, गुलाम नबी आजाद और मोतीलाल वोरा राज्यसभा के सदस्य हैं। जबकि दीपक बावरिया, हरीश रावत, ज्योतिरादित्य सिंधिया, केसी वेणुगोपाल, मल्लिकार्जुन खड़गे, मुकुल वासनिक और प्रियंका गांधी राज्यसभा में जाने को प्रयासरत हैं। कांग्रेस कार्यसमिति में भी सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह, गुलाम नबी आजाद, अहमद पटेल, एके एंटनी, अंबिका सोनी, आनंद शर्मा, हरीश रावत, मोतीलाल वोरा, मल्लिकार्जुन खड़गे, ओमन चांडी, लुइझिनो फलेरो की उम्र अधिक हो चुकी है। कार्यसमिति के 23 में से 3 सदस्य तो गांधी परिवार के हैं। कुछ नेताओं को छोड़कर अधिकांश ऐसे नेता कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य हैं जिनका जनाधार समाप्त हो चुका है।

कांग्रेस पार्टी में वर्षों से वरिष्ठ पदों पर जमे बुजुर्ग नेताओं को अब विश्राम देना चाहिये व उनके स्थान पर ऐसे युवा नेताओं को आगे बढ़ाना चाहिए जिनका अपने प्रदेशों में प्रभाव हो। (Siyasat net is Ahmedabad based website)