समाजीकरण का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं एवं उद्देश्य

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समाजीकरण का अर्थ: समाजीकरण एक समाज की विभिन्न वर्गों और समूहों को सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक रूप से एक साथ लाने की प्रक्रिया है। इसके माध्यम से समाज में समानता, न्याय, संघर्षमुक्ति, स्वतंत्रता और समरसता को बढ़ाया जाता है। समाजीकरण के माध्यम से समाज में समानता और समरसता को बढ़ाया जाता है जिससे लोग एक दूसरे के साथ अधिक मेल-जोल होते हुए एक साथ रहने के लिए सक्षम होते हैं।

समाजीकरण की परिभाषा:

ग्रीन के अनुसार, ” समाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा बच्चा सांस्कृतिक विशेषताओं, आत्म एवं व्यक्तित्व को प्राप्त करता हैं।
फिचर के शब्दों में
“समाजीकरण वह प्रक्रिया है, जिसके फलस्वरूप व्यक्ति सामाजिक व्यवहारों को स्वीकार करता है और उसके साथ अनुकूलन करता हैं।
गिलिन व गिलिन के अनुसार,
” समाजीकरण से आश्य उस प्रक्रिया से है जिसके द्वारा एक व्यक्ति समाज के एक क्रियाशील सदस्य के रूप मे विकसित होता हैं, समूह की कार्यप्रणालियों से समन्वय करता है, उसकी परम्पराओं का ध्यान रखता है और सामाजिक स्थितियों मे व्यवस्थापन करके अपने साथियों के प्रति सहनशक्ति की भावना विकसित करता है।”
प्रो. ए. डब्ल्यू. ग्रीन के अनुसार,
” लोकसम्मत व्यवहारों को सीखने की प्रक्रिया का नाम सामाजीकरण हैं।” ।फिशर के अनुसार,” सामाजीकरण वह प्रक्रिया हैं जिसके द्वारा व्यक्ति सामाजिक व्यवहारों को सीखता है और उनमें अनुकूलन करना सीखता हैं।”
कुक के अनुसार,
” समाजीकरण की प्रक्रिया का परिणाम यह होता है कि बालक सामाजिक दायित्व को स्वयं ग्रहण करता हैं तथा समाज के विकास में योग देता हैं।”
किम्बाल यंग के अनुसार,
” समाजीकरण वह प्रक्रिया है, जिसके द्वारा व्यक्ति सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में प्रवेश करता है तथा समाज के विभिन्न समूहों का सदस्‍य बनता हैं।”
अकोलकर के अनुसार,
” व्यक्ति द्वारा व्यवहार के परम्परागत प्रतिमानों को ग्रहण करने की प्रक्रिया उसका समाजीकरण कहलाती हैं। क्योंकि वह उसके दूसरों पर संगठन करने पर और उसके द्वारा कार्य करने वाली संस्कृति के प्रति खुलेपन पर निर्भर करती हैं।”
राॅस के अनुसार,
” सहयोग करने वाले लोगों में अंह की भावना का विकास और उनके साथ काम करने की क्षमता तथा संकल्प को समाजीकरण कहते हैं।”
न्यूमेयर के अनुसार,
” एक व्यक्ति के सामाजिक प्राणी के रूप में परिवर्तित होने की प्रक्रिया का नाम ही समाजीकरण हैं।”

समाजीकरण के कुछ मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

1-समानता: समाजीकरण के माध्यम से समाज में समानता का विकास होता है। इससे विभिन्न वर्गों और समूहों के लोगों के बीच समानता बढ़ती है।

2-समरसता: समाजीकरण से समरसता का विकास होता है। इससे विभिन्न समूहों और वर्गों के लोगों के बीच अधिक मेल-जोल होता है जो समाज के लिए अत्यंत आवश्यक है।

3-संघर्षमुक्ति: समाजीकरण के माध्यम से समाज में संघर्षमुक्ति का विकास होता है। इससे विभिन्न समूहों और वर्गों के लोगों के बीच संघर्ष कम होता है जो समाज के विकास के लिए आवश्यक है।

4-स्वतंत्रता: समाजीकरण के माध्यम से समाज में स्वतंत्रता का विकास होता है। इससे विभिन्न समूहों और वर्गों के लोगों के बीच आजादी का माहौल बढ़ता है जो समाज के लिए आवश्यक होता है।

समाजीकरण के मुख्य उद्देश्यों में निम्नलिखित शामिल होते हैं:

1-समाज में समानता का संरक्षण और बढ़ावा: समाजीकरण का मुख्य उद्देश्य समाज में समानता का संरक्षण और बढ़ावा होता है। इससे समाज के सभी वर्गों और समूहों के लोगों के बीच समानता का विकास होता है।

2-समाज की समरसता का विकास: समाजीकरण के माध्यम से समाज की समरसता का विकास होता है। इससे विभिन्न समूहों और वर्गों के लोगों के बीच मेल-जोल बढ़ता है जो समाज के विकास के लिए आवश्यक होता है।

3-समाज में न्याय का संरक्षण: समाजीकरण का एक अन्य मुख्य उद्देश्य समाज में न्याय का संरक्षण होता है। इससे विभिन्न समूहों और वर्गों के लोगों के बीच न्याय का समान वितरण होता है और समाज में न्याय के आधारों पर संघर्ष कम होता है।

4-क्षमताओं का विकास: समाजीकरण व्यक्ति में ऐसी क्षमतायें भी पैदा करता हैं जिससे वह सामाजिक परिस्थितियों के साथ सरलतापूर्वक अनुकूलन कर सके।

इस प्रकार स्पष्ट है कि समाजीकरण की प्रक्रिया व्यक्ति एवं समाज दोनों के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण प्रक्रिया हैं।