गुजरात की राजनीतिमेंउठा-पटक का दौर जरूर शुरू होने वाला है

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शंकरसिंह वाघेला लोकसभा चुनाव से पहले तीसरे विकल्प के लिए प्रयास करेंगे 

www.siyasat.net news desk

गुजरात के पूर्व CM, पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिग्गज नेता    शंकरसिंह वाघेला    ने यह कहा कि वह आगामी लोकसभा चुनाव के दौरान देश में गैर कांग्रेस और गैर BJP वाले तीसरे विकल्प को जनता के समक्ष लाने के लिए आने वाले दिनों में सक्रिय होंगे।कांग्रेस छोड़ कर पिछले विधानसभा चुनाव में गुजरात में जन विकल्प मोर्चा की अगुवाई करने वाले 79 वर्षीय वाघेला ने यह कहा कि वह ऐसा गैर कांग्रेस और गैर BJP विकल्प देश में चाहते हैं जिससे जनता का भला हो। वह पिछले छह माह से लोगों से मिल रहे हैं और आने वाले समय में फिर से तेजी से सक्रिय होंगे और जरूरत पड़ी तो दिल्ली जाकर भी अन्य दलों से चर्चा करेंगे अथवा जो जरूरी होगी वह भूमिका निभाएंगे।वाघेला, जिनके पुत्र महेन्द्रसिंह वाघेला पहले ही BJP का दामन थाम चुके हैं और उनकी चेतावनी के बावजूद अब तक उसमे ही बने हैं, ने कहा कि जब कांग्रेस केंद्र की सत्ता में थी तो BJP खुद को विकल्प के तौर पर पेश करती थी पर इससे जनता को क्या लाभ हुआ।

विदित है कि वाघेला अथवा उनके पुत्र ने गुजरात का पिछला विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था, और उनके जन विकल्प मोर्चें के सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी। BJP से हट कर अलग पार्टी बनाने और फिर कांग्रेस में आने वाले वाघेला ने पिछले साल कांग्रेस से बगावत कर पहले चुनावी राजनीति से दूर रहने की बात कही थी और फिर चुनाव से ऐन पहले इसमे कूद पड़े थे।

गुजरात की राजनीति में बापू के नाम से चर्चित वाघेला का गत 21 जुलाई को जन्मदिन था। इस दिन वे गुजरात से बाहर होने का बहाना कर किसी तरह का कार्यक्रम करने से दूर रहे जबकि हर साल उनका जन्मदिन निजी आवास पर मनाया जाता है। गत दिनों भरुच में एक श्रद्धांजलि सभा के बहाने बापू ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल से एक निजी फार्म हाउस में मुलाकात की। इसके बाद से उनकी कांग्रेस में वापसी की अटकलें भी तेज हो रही है, लेकिन मंगलवार को उन्होंने खुद स्थिति साफ करते हुए कहा कि जनता भाजपा व कांग्रेस दोनों से निराश है। उसे विकल्प की तलाश है और वे विविध दलों के नेताओं से मिलकर इस पर सलाह मशविरा कर रहे हैं।

बापू कहते क्या हैं और करते क्या हैं यह उनके सिवा दूसरा कोई टोह नहीं ले सकता, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले उनकी सक्रियता से राजनीतिक उठा-पटक का दौर जरूर शुरू होने वाला है। गत विधानसभा चुनाव में भी वाघेला ने जनविकल्प मोर्चा के नाम से करीब सवा सौ उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, हालांकि उनमें से एक भी चुनाव नहीं जीत सका और अधिकांश उम्मीदवारों की जमानत भी जब्त हो गई थी।