मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज यूपी के योगी की नकल करने की कोशिश में। राज्य में हिंदू और मुस्लिम के बीच झगड़ों का ये है पूरा सच

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सवाल उठता है कि जिस समय कोरोना की वजह से लोकसभा के साथ-साथ मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र भी स्थगित है, उस समय ऐसी रैलियों की अनुमति कैसे मिल रही है? क्या इन रैलियों के कोई निहितार्थ हैं?

Siyasat.net web desk
इंदौर की घटना. जहां लोग राम मंदिर का चंदा मांगने गए और पथराव हो गया. एक हफ़्ते के वक़्फ़े के दरम्यान मध्य प्रदेश में तीन जगह ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं,
मध्य प्रदेश. यहां पर पहले उज्जैन, फिर इंदौर और अब मंदसौर से साम्प्रदायिक हिंसा की ख़बर आ रही है. तीनों का कहानी लगभग एक जैसी. कई बाइकों पर सवार दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़े लोगों का जत्था अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा मांगने निकला. मुस्लिम बहुल इलाक़े या मोहल्ले से गुज़रा. हिंसा हुई. पत्थर चले. और आख़िर में हुई पुलिस की कार्रवाई. एक तरफ से आरोप लगे कि बाइक सवारों ने ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए, गालियां भी दीं. वहीं दूसरी तरफ से आरोप लगाए गए कि शांतिप्रिय ढंग से चंदा मांगने गए लोगों पर पथराव किया गया.
सबसे पहले मंदसौर की घटना
29 दिसम्बर की शाम. मंदसौर से बाइक सवारों की रैली निकली. ख़बरों के मुताबिक़, ये लोग विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के सदस्य थे. मकसद ये कि राम मंदिर के लिए चंदा जुटाना है. ख़बरें बताती हैं कि चंदा जुटाती भीड़ का जत्था मंदसौर से 20 किलोमीटर दूर डोराना गांव पहुंचा. डोराना गांव मुस्लिम बहुल है. आरोप है कि गांव में पहुंचने के बाद रैली में शामिल लोग जय श्री राम के नारे लगाने लगे. तेज़ आवाज़ में DJ बजाने लगे.
कुछ स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया, तो तनाव शुरू हो गया. आरोप सामने आए कि दोनों ओर से पत्थर चलाए गए. बात बढ़ गयी. रैली में आए लोग वहां घरों में घुस गए. तोड़फोड़ की. घरों पर लगे इस्लामिक झंडों को उतारकर भगवा झंडा फहरा दिया. जय श्री राम के नारे लगाने लगे. स्थानीय अख़बार नई दुनिया के मुताबिक़, इसी क्रम में एक पुलिसकर्मी एन.एम. मंसूरी के मकान में भी घुसकर तोड़फोड़ की गयी. किराना दुकान में सामान उलट-पलट दिया गया.
इन आरोपों पर विहिप का क्या कहना है?
विहिप के ज़िलाध्यक्ष प्रदीप चौधरी ने ‘नई दुनिया’ से दावा किया,
“राम जन्मभूमि संग्रह निधि इकट्ठा करने के उद्देश्य से विहिप द्वारा गांव-गांव में वाहन रैलियां निकाली जा रही हैं. मंगलवार को ग्राम सेजपुरिया से डोराना तक रैली निकाली जा रही थी. इस दौरान कुछ लोगों द्वारा रैली में शामिल युवाओं पर पथराव किया. उन्हें हथियार दिखाकर डराने की कोशिश की गई. इसके बाद क्रिया की प्रतिक्रिया हुई. रैली के बाद घर जा रहे हमारे कार्यकर्ताओं के साथ ग्राम बादाखेड़ी में भी मारपीट कर बाइक जलाने की जानकारी मुझे मिली है.”
इस मामले में पुलिस ने क्या कार्रवाई की?
पुलिस ने दोनों पक्षों की शिकायतों के आधार पर 57 लोगों के खिलाफ़ मुक़दमा किया. कई नामजद भी किए गए. 5 लोग पकड़े गए हैं, जो दोनों पक्षों से ताल्लुक़ रखते हैं. मंदसौर के एसपी सिद्धार्थ चौधरी ने मीडिया से कहा है कि हालात पूरी तरह नियंत्रण में हैं.
मंदसौर के बाद इंदौर
अब मंदसौर से चलते हैं लगभग 200 किलोमीटर दूर इंदौर. जिसे अक्सर मिनी मुंबई कहा जाता है. दिन वही 29 दिसम्बर. चांदनखेड़ी गांव, गौतमपुरा थाना क्षेत्र. चांदनखेड़ी मुस्लिम बहुल है. यहां पर हिंदूवादी संगठनों ने रैली निकाली. इस रैली का भी ध्येय सेम. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा जुटाना. नारे वही. ‘जय श्री राम’ के. रैली जब मुस्लिम बहुल गांव से गुज़री तो दोनों पक्षों में बहस हो गयी. क्यों? इंदौर के DIG हरिनारायण मिश्रा बताते हैं कि रैली गुज़रते समय स्थानीय लोगों ने मोबाइल से वीडियो बनाने शुरू कर दिए. इसे लेकर दोनों पक्षों में बहस होने लगी. बहस के बाद पथराव शुरू हो गया. 12 लोग घायल हो गए.
लेकिन स्थानीय लोगों के दावे कुछ उलट हैं. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक़, रैली में शामिल लोग मस्जिद के बाहर खड़े होकर हनुमान चालीसा पढ़ने लगे. मस्जिद में उस समय नमाज़ अदा की जा रही थी. तभी कुछ लोग ‘जय श्री राम’ के नारे लगाते हुए मस्जिद पर चढ़ गए, और मीनार को क्षति पहुंचाने की कोशिश करने लगे. कुछ घरों में आगज़नी और गाड़ियों को तोड़ने के भी आरोप सामने आए हैं.
इस मामले में पुलिस का क्या कहना है?
DIG हरिनारायण मिश्रा द्वारा दी गयी जानकारी के मुताबिक़, इस घटना में दोनों पक्षों को मिलाकर 27 लोगों को अरेस्ट किया जा चुका है. और कुल 4 FIR अलग-अलग धाराओं में दर्ज की गयी हैं. DIG मिश्रा ये भी बताते हैं कि जो लोग मस्जिद पर चढ़े थे, उनकी शिनाख्त कर ली गयी है. उन्हें भी हिरासत में ले लिया गया है. प्रशासन की ओर से इलाक़े में शांति कायम होने का भी दावा किया जा रहा है.
उज्जैन, जहां नामज़द लोगों के घर तोड़ दिए गए
दिन 25 दिसंबर. भाजपा के युवा संगठन भारतीय जनता युवा मोर्चा के 60 बाइक सवार और भाजयुमो के 300 कार्यकर्ता उज्जैन शहर में निकले राम मंदिर के लिए चंदा मांगने. ऐसा पहली बार नहीं हो रहा था. पहले भी राम मंदिर के नाम पर जनजागृति कार्यक्रम और चंदा जुटाने के कार्यक्रम उज्जैन में होते रहे हैं.
तो 25 तारीख को भाजयुमो के कार्यकर्ताओं का जुलूस शहर के अलग-अलग हिस्सों में घूमने के बाद महाकाल मंदिर की तरफ जा रहा था. महाकाल मंदिर के पास ही महाकालभक्त निवास में इन्हें पहुंचना था. रास्ते में पड़ता है बेगम बाग़ इलाक़ा. महाकाल मंदिर तक जाने के रूट कई हैं. इनमें से एक बेगम बाग वाला रूट है. बेगम बाग मुस्लिम बहुल इलाका है. लगभग पूरी आबादी मुस्लिमों की है.
उज्जैन के पत्रकारों ने हमें बताया कि आमतौर पर धार्मिक जुलूस को बेगम बाग वाले रूट से नहीं जाने दिया जाता क्योंकि प्रशासन इसे संवेदनशील इलाका मानता है. लेकिन 25 तारीख वाला जुलूस इसी रूट से जा रहा था, साथ में पुलिस भी थी. भीड़ जयश्री राम और अन्य धार्मिक नारे लगाती हुई आगे बढ़ रही थी. आरोप है कि मुस्लिम घरों से रैली पर पत्थर फेंके गए.
एक वीडियो ऐसा भी आया, जिसमें दो महिलाएं भी छत से पत्थर फेंकती दिख रही हैं. रैली में शामिल भीड़ ने भी घरों की तरफ पत्थर फेंकना शुरू कर दिया. दोनों तरफ से पत्थरबाज़ी हुई. झगड़ा बढ़ गया. पुलिस जब तक मामले को संभालती, कई लोग ज़ख्मी हो चुके थे. दूसरी तरफ से आरोप ये है कि रैली में शामिल लोगों ने पहले गालियां और उकसावे वाली नारेबाज़ी की, जिसके बाद पत्थरबाज़ी शुरू हुई.
पुलिस ने उसी दिन 5-6 लोगों को पत्थरबाज़ी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. इस हिंसा के दो दिन बाद एक और वीडियो सामने आता है, जिसमें उसी बेगम बाग इलाके में एक घर ढहाते हुए नजर आता है. वीडियो के साथ खबर आई कि जिन घरों पर पत्थरबाज़ी हुई, उन पर बुल्डोज़र चल गया. बुल्डोज़र चलवाने वाले अधिकारियों ने कहा कि पत्थरबाज़ी का हमें नहीं पता, हम तो अवैध निर्माण गिरा रहे हैं. जब ये डिमोलिशन हो रहा था तो खूब विरोध हुआ. पुलिस और प्रशासन से लोगों की हिंसक झड़प हुई. शहर काज़ी का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर आया, जिसमें वो कह रहे हैं कि घर तोड़ना रोक दीजिए, नहीं तो 15 मिनट में ही चीजें बहुत ख़राब हो जाएंगी. हालांकि घर ढहा दिए गए.
अब पुलिस के हिस्से की कहानी बताते हैं. पुलिस ने 33 लोगों को इस मामले में नामजद किया था. पुलिस के मुताबिक़, उज्जैन के मामले में अब तक 20 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है. इनमें से 5 लोगों के खिलाफ़ राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून (रासुका) के तहत मामला दर्ज किया गया है. गौर करने वाली बात ये है कि ये सभी 20 लोग बेगम बाग़ के निवासी हैं. 3 FIR दर्ज की गयी हैं. लेकिन दूसरे पक्ष से अभी तक कोई गिरफ़्तारी नहीं हो सकी है.
लल्लनटॉप से बातचीत में उज्जैन के एसपी सत्येंद्र कुमार कहते हैं,
“दूसरे पक्ष के लोगों की शिनाख्त कर ली गयी है. जल्द ही उन्हें भी हिरासत में लिया जाएगा.”
लोगों पर रासुका जैसी गम्भीर धारा क्यों लगायी गयी? इस सवाल पर सत्येंद्र कुमार ने कहा,
“रासुका सिर्फ़ उन लोगों पर लगायी गयी, जिन पर पहले से आपराधिक मामले दर्ज हैं. और क्यों लगायी गयी, किन परिस्थितियों में लगायी गयी, ये आप कोर्ट को तय करने दीजिए.”
बड़ा सवाल
सवाल उठता है कि जिस समय कोरोना की वजह से लोकसभा के साथ-साथ मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र भी स्थगित है, उस समय ऐसी रैलियों की अनुमति कैसे मिल रही है? क्या इन रैलियों के कोई निहितार्थ हैं?
ये बात भी निकलकर सामने आ रही है कि इन रैलियों के दौरान सीमित संख्या में पुलिस बल भी मौजूद रहता है. पुलिस अधिकारी बताते हैं कि आयोजनकर्ताओं के पास इन रैलियों की पर्याप्त परमिशन रहती है. स्थिति न बिगड़े, इसलिए पुलिसकर्मी रैली में लगाए जाते हैं.
स्वतंत्र पत्रकार मनीष दीक्षित थोड़ी अलग राय रखते हैं, वह कहते हैं,
“इन सभी घटनाओं के 2-3 निहितार्थ हो सकते हैं. कुछ महीनों में मध्य प्रदेश में पंचायत और नगर निकाय चुनाव होने वाले हैं. बीजेपी संभवत: इस आधार पर माहौल बनाना चाह रही हो. साथ में ये भी कहा जा सकता है कि इसी साल तख़्तापलट के बाद मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह चौहान अपनी छवि बदलने की कोशिश में हैं. MP का ‘लव जिहाद’ क़ानून हो या इस तरह की घटनाएं, शिवराज अपनी छवि में बदलाव चाह रहे हैं. वो देख रहे हैं कि यूपी में योगी आदित्यनाथ हिंदुत्व की राजनीति करके आगे बढ़ रहे हैं. इसलिए वो भी इसी क़िस्म की राजनीति करना चाह रहे हैं. मेरे ख़्याल से इसी वजह से ऐसी घटनाओं में इज़ाफ़ा हो रहा है.”
बहरहाल, इन दावों की सचाई की शिनाख़्त अभी होनी बाक़ी है. इन घटनाओं की पुलिस जांच भी पूरी नहीं हुई है. लेकिन इतना तो साफ़ है कि कुछ लोग हैं दोनों ओर, जो अपने-अपने धर्म को महान साबित करने के लिए अपने धर्म पर कोई चोट बर्दाश्त नहीं करना चाहते हैं. जवाब देना ज़रूरी समझते हैं. लेकिन ये भी भूल ही जाते हैं कि उनका धर्म ही है, जो कई मौक़ों पर सहिष्णु होने और माफ़ करने की हिदायत भी देता है।
मध्य प्रदेश के उज्जैन में भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) की रैली पर कथित तौर पर पत्थर फेंकने के चलते प्रशासन ने मुस्लिम बहुल क्षेत्र बेगम बाग में अब्दुल रफीक के घर को ढहा दिया, जिसमें 19 लोगों का परिवार रह रहा था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पीड़ित परिवार को कहीं भी आसरा नहीं मिलने के चलते पड़ोसी मीरा बाई ने अपने घर का एक कमरा उन्हें दिया है, जहां ये 19 लोग रह रहे हैं.
दरअसल भाजयुमो के कार्यकर्ताओं ने हाल ही में इस इलाके से एक रैली निकाली थी और आरोप है कि इस दौरान उन्होंने सांप्रदायिक नारेबाजी की, जिसके चलते दूसरी तरफ से उन पर पथराव हुए. जब प्रशासन को खबर मिली तो उन्होंने कार्रवाई करते हुए रफीक के दो मंजिला घर को 26 दिसंबर को ढहा दिया, जिसे उन्होंने 35 साल की मेहनत से खड़ा किया था.
रफीक ने बताया कि पुलिस कथित तौर पर मीरा की छत से 25 दिसंबर को पत्थरबाजी करतीं दो महिलाओं- हीना और यासमीन- को ढूंढ रही थी. हालांकि जब उन्हें पता चला कि मीरा हिंदू हैं, तो पुलिस ने रफीक के घर को निशाना बनाया और घर तोड़ने से पहले उन्हें सामान निकालने का भी मौका नहीं दिया.
मध्य प्रदेश पुलिस की इस कार्रवाई ने महज 30 मिनट में 10 बच्चों समेत पूरे परिवार को बेघर बना दिया.
मीरा ने बताया कि हिना किराएदार थीं और उस दिन उन्हें पत्थर फेंकते हुए देखा गया था. हालांकि वो उसी रात भाग गई थीं.
इस मामले में हत्या करने की कोशिश के आरोप में यासमीन को गिरफ्तार किया गया है, जो कि दो बच्चों की मां हैं और दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करती हैं. इसके अलावा 17 और लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया हैं, जिसमें से 10 लोगों के खिलाफ कठोर एनएसए के तहत केस दर्ज है.
वैसे को बेगम बाग के निवासी अब्दुल शाकिर, भाजयुमो के नवदीप सिंह रघुवंशी और स्थानीय ट्रस्ट भारत माता मंदिर द्वारा तीन एफआईआर दर्ज कराए गए हैं, हालांकि पुलिस का कहना है कि उन्हें सिर्फ बेगम बाज के निवासी के खिलाफ सबूत मिले हैं.
जिला कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा कि ‘घर गिराना इसलिए जरूरी था ताकि अपराधियों को सबक मिल सके.’ उन्होंने कहा कि भले ही मीरा की छत से हिना और यासमीन पत्थर फेंक रही थीं, लेकिन यासमीन रफीक के घर में रहती थीं.
ये पूछे जाने पर कि भाजयुमो के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई, जिला कलेक्टर ने कहा कि स्थानीय लोगों ने बताया कि रैली के दौरान अपमानजनक नारे लगाने के चलते हिंसा हुई है, हालांकि वे इसका कोई पुख्ता सबूत नहीं दे सके हैं. यदि इसे साबित करते हुए कोई वीडियो हमारे सामने लाया जाता है तो हम इस पर कार्रवाई करेंगे.
उज्जैन में इस तरह की घटना होने के बाद स्वतंत्र जांच की मांग पर राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा था, ‘जहां से पत्थर आएंगे, वहीं से तो निकाले जाएंगे.’
मालूम हो कि हाल में मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में कट्टरवादी हिंदू समूहों द्वारा रैली निकालने के बाद कई जगहों पर हिंसा की घटनाएं सामने आई हैं. ये रैलियां राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा जमा करने के उद्देश्य से निकाली जा रही हैं.
मंदसौर के डोरोना गांव में कथित तौर पर मस्जिद गिराने के आरोप में पुलिस ने पांच लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है.
चंदा जुटाने से जुड़े एक अभियान के तहत इंदौर में भी इसी तरह की झड़प की घटना सामने आई है. इस संबंध में पुलिस ने चार लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है. (With media input)
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