‘असली महागठबंधन’ की तैयारी,कांग्रेस को चुनौती
By Abdul hafiz lakhani New delhi/ Ahmedabad
राहुल गांधी के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी को उत्तर प्रदेश में खोई हुई साख वापस लौटाने की है। माना जाता है कि केंद्र का रास्ता यहीं से होकर जाता है। कई जिलों में कमेटी नहीं होने से पार्टी तंत्र खस्ताहाल है। मतदाताओं-कार्यकर्ताओं पर समान रूप से पार्टी की पकड़ ढीली है। पार्टी को पुनर्जीवित करने वाले किसी बड़े चेहरे की कमी भी एक वजहों में से एक है।समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी ने 38-38 सीटों पर 2019 लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। प्रदेश की कुल 80 लोकसभा सीटों में से 76 पर सपा-बसपा काबिज हो गई हैं, दो सीटें आरएलडी और दो सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ दी गईं। सिर्फ दो सीटों के ऑफर से नाराज कांग्रेस ने सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। आरएलडी भी दो सीटें मिलने से नाराज है। इधर सपा-बसपा के साथ आते ही शिवपाल सिंह यादव ने धर्मनिरपेक्षता के नाम पर कांग्रेस की ओर हाथ बढ़ा दिया। उधर, एनडीए में शामिल अनुप्रिया पटेल की पार्टी अपना दल और ओम प्रकाश राजभर सुहेलदेव समाज पार्टी भी लगातार धमकी दे रहे हैं। कुल मिलाकर यूपी में महागठबंधन की जो बात चल रही थी, वह तो सपा-बसपा गठबंधन में बदलकर रह गई। तो महागठबंधन कहां बना? क्योंकि दो दलों के गठबंधन को महागठबंधन तो नहीं कहा जा सकता है। भले ही सपा-बसपा महागठबंधन न बना सका हो, लेकिन महागठबंधन की खिचड़ी अब पकनी शुरू हो गई हैं।
वोट कटवा दलों का महागठबंधन तय करेगा 2019 का परिणाम
यूपी में 2019 लोकसभा चुनाव की जंग अब सपा-बसपा बनाम बीजेपी से तय होगी। अखिलेश यादव, मायावती और अमित शाह यही मानकर चल रहे हैं, लेकिन असल में निर्णायक साबित होगा ‘असली महागठबंधन’, मतलब कांग्रेस के नेतृत्व में वोट कटवा पार्टियों का समूह, असली महागठबंधन। इसमें शक नहीं कि 2019 में मुकाबला 2014 की तरह एकतरफा नहीं होगा, मुकाबला कड़ा होगा और जीत किसके पाले में जाएगी, यह इस बात से तय होगा कि वोट कटवा दलों का प्रदर्शन कैसा रहा। अब सवाल यह है कि इस असली महागठबंधन में कौन-कौन सी पार्टियां शामिल होंगी?
ये है छोटे-छोटे दलों का असली महागठबंधन
शिवपाल यादव ने कांग्रेस को साथ आने का न्योता दे दिया है। अपना दल और सुहेलदेव समाज पार्टी भी एनडीए के बाहर विकल्प तलाश रहे हैं। तापगढ़ के कुंडा से निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया भी जनसत्ता पार्टी बना चुके हैं। आरएलडी भी कांग्रेस के संपर्क में है। पीस पार्टी भी कांग्रेस के संपर्क में है। ये सभी दल मिलकर यूपी में ‘असली महागठबंधन’ बना सकते हैं। कांग्रेस भले ही यूपी चुनाव में सभी सीटों पर लड़ने का ऐलान कर चुकी है, लेकिन वह भी जानती है कि यूपी में अकेले उसके हाथ सफलता लगना मुश्किल है। ऐसे में छोटे-छोटे दलों का महागठबंधन कर वह भले ही खुद बहुत ज्यादा सीटें न जीत पाए, लेकिन बीजेपी का काम पूरी तरह खराब कर सकती है।
जाहिर है 2019 में बीजेपी के लिए कम से कम कागज पर सीटों का अकाल नजर आता है. हां यदि उसने कोई ऐसा मुद्दा ढूंढ लिया जिससे फिर एक लहर उसके पक्ष में चल जाए तो बात कुछ और हो सकती है. इसके लिए आपको चंद महीनों तक इंतजार करना पड़ेगा. वैसे यह तो तय है कि 2019 का लोकसभा चुनाव काफी रोचक और मजेदार होने वाला है.